बात दिलकी मानके मुश्किल में पड सकता हूँ मैं।
गर नहीं मानु तो खुदसे भी बिछड़ सकता हूँ मैं।
हार जाता हूँ तुम्हारे सामने हर बार मैं।
पर तुम्हारे वास्ते दुनिया से लड़ सकता हूँ मैं।
ए उदासी माँ के जेसा प्यार मत कर तू मुझे
तेरे इस बर्ताव से शायद बिगड़ सकता हूँ मैं।
हार मैंने मान ली है गर्दिश ए हालात से।
आदमी हूँ एड़ियां कितनी रगड़ सकता हूँ मैं
तू सदाकत के लिए उकसा न मुझको ए ज़मीर।
सच कहूँ तो दार पर महेबूब चढ़ सकता हूँ मैं।
महेबुब सोनालिया
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