बने रौशन जहाँ सारा दिए ऐसे जलाएंगे
मनाओ ईद को अब तुम,दीवाली हम मनाएंगे।
हम अपनी एकता से इक नई दुनिया बसायेंगे
महोब्बत का तराना हर जुबाँ पर छोड़ जायेंगे।
बचाना आपका जिम्मा जहाँ की बदनिगाही से
सुलगती रेत में हम प्यार का चश्मा बहायेंगे।
रखेंगे वेद की कोई रुचा हम अपने सीने में
तुम्हारे दिल में रब की रहेमातोको छोड़ जायेंगे।
मेरे महेबुब मजहब सिखले कोई महोब्बत का
चलो फिर देखले कोई हमे कैसे लड़ाएँगे।
दिए की ज्योत में 'महेबुब' सबके गम भी जल जाएँ
चलो अबके दिवाली इस तरह से हम मनाएंगे।
सोनालिया महेबुब
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