क्यां जरुरी छे स्वरो उच्चारवा ?
मौन रहीने शब्द आलापी शको
उरमां यात्रा कराती होय छे
अंतरे अंतर जरा कापी शको
टेकरी वच्चे श्वसे छे जिंदगी
खीणमां पडघाने पडकारी शको ?
जलने संबोधी शको छो पात्रथी
पण हवाने केम आकारी शको !
आजनुं भणवानुं पुरु थई गयुं
पाटीमां लीटा हवे पाडी शको
भरत भट्ट
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