पंखी पांख पसारे
धनेश मकवाणा
मने देखाय
उडतुं पंखी
मारा अंतर मनमां
घीरेकथी हलचलतुं
पछी
खळभळ करतुं
बारीमाथी बहार
चाल्युं जाय छे
पेली नदीना
तट पर बेसी
घूटडे घूटडे
पाणी पीवे
अने
मारी नसनसमां
हळवी लहेरो ऊडे
नोळवेल ऊगी समजो
पछी
खलिपो थयो
थोडिक इच्छाओनो
सळवळाट करे
पांख पसारी
जाय दूर.....दूर...
धनेश मकवाणा
मने देखाय
उडतुं पंखी
मारा अंतर मनमां
घीरेकथी हलचलतुं
पछी
खळभळ करतुं
बारीमाथी बहार
चाल्युं जाय छे
पेली नदीना
तट पर बेसी
घूटडे घूटडे
पाणी पीवे
अने
मारी नसनसमां
हळवी लहेरो ऊडे
नोळवेल ऊगी समजो
पछी
खलिपो थयो
थोडिक इच्छाओनो
सळवळाट करे
पांख पसारी
जाय दूर.....दूर...
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