जब करते थे तब करते थे
हम प्यार मुहब्बत करते थे
अब ठंडी आहें भरते हैं
हम लम्हा लम्हा मरते हैं
यह चीज़ जइफी ऐसी है
पंछी की फुरुर से डरते हैं
आंसू की भांति बरसते थे
हम प्यार मुहब्बत करते थे
अब तन्हाई का आलम है
सांसो की बसूरी सरगम है
ना रात कटे ना दिन गुज़रे
जिन्दा होने का मातम है
पायल की छून छून सुनते थे
बासंती चोला बूनते थे
हम प्यार मुहब्बत करते थे
अब आना हो तो आ जाओ
जी चाहे वहां पर ले जाओ
न्योता का अब लिखो खत
बार बार बुलवाओ मत
जब करते थे तब करते थे
हम प्यार मुहब्बत करते थे
-डो चिनु मोदी 'इर्शाद'
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