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આજનો મોરલાનો ટહુકો......

Wednesday, May 27, 2015

मैं बस्ती में आख़िर किस से बात करूँ मेरे जैसा कोई पागल भेजो न

धूप बहुत है मौसम जल-थल भेजो न
बाबा मेरे नाम का बादल भेजो न

मोल्सरी की शाख़ों पर भी दिये जलें
शाख़ों का केसरया आँचल भेजो न

नन्ही मुन्नी सब चेहकारें कहाँ गईं
मोरों के पैरों की पायल भेजो न

बस्ती बस्ती दहशत किसने बो दी है
गलियों बाज़ारों की हलचल भेजो न

सारे मौसम एक उमस के आदी हैं
छाँव की ख़ुश्बू, धूप का संदल भेजो न

मैं बस्ती में आख़िर किस से बात करूँ
मेरे जैसा कोई पागल भेजो

-राहत इन्दौरी

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