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આજનો મોરલાનો ટહુકો......

Thursday, January 21, 2016

आदमी सब एक नजर से हैं !

आदमी  सब  एक  नजर  से  हैं !
सागरे-रेत' में  मगर  हैं !!

कूचा-ए-यार में रहेंगे  अब !
सोचकर निकले  यही  घर  से  हैं  !!

मेरे  इस  दिल  के  आशियाने  पर  !
तेरे  जुल्मो  के  अब्र  बरसे  हैं !!

हर  रूखे-हुश्न  मे  मुझे  देखे  तुं !
हर  परेशाँ  इन्ही  नजर से  हैं  !!

बस  तेरी  इक  नजर  की  खातिर !
हिज्र  में  दीदे- तर  हम  बरसे  हैं  !!

आप  वादे  को  भूल  जाते  हो  !
और 'शील " खामोश  मुन्तजिर  सी  हैं  !!

,,,  ,, ,, हेमशीला' माहेश्वरी, ,,,,"शील ""

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