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આજનો મોરલાનો ટહુકો......

Monday, January 15, 2018

Lipi Oza

तेरी नाराज़गी
और तू,
मेरा गुस्सा
और मैं,
कुछ ग़लतफ़हमियाँ,
कुछ नादानियाँ,
कुछ नासमझ शरारतें,
कुछ समझी-बुझी शैतानियाँ,
ज़माने की आंखों पे
शराफत की एनकें,
और अपनी बढ़ती बदमाशियाँ,
थोड़ी सी जलन
थोड़ा सा जुनून
बदन पर मासूमियत
का पैरहन,
ज़ेहन पे महोब्बत की
अल्हड़ निशानियाँ,
होठों का ज़ायका,
बातों की खुशबू,
हर लम्हा बढ़ती बेकरारियाँ,
मेरे चहरे पे दिखता तू,
तेरी बातों में छलकती मैं,
और भीड़ में जो मिलती हैं
वह खुली तन्हाईयाँ।

एक पलड़े में ये सब कुछ
और
दूसरे पलड़े में
इश्क़ अपना!...

- लिपि
Lipi Oza

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