तरही गजल
कविश्री हनीफ साहिलना मिशरा परथी
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सूर्य पण क्यां सवार बदले छे
रोज ए फक्त वार बदले छे
धैर्य साधन छे एक संयमनुं
हद वटे त्यां दिदार बदले छे
फूल सचवाइ ग्या किताबोमां
यादना बस तुषार बदले छे
क्यां रही वांसळी कनैया हाथ
सूर जेना मदार बदले छे
कोइ जइने कहो ए मोदीने
नोट कोनी कतार बदले छे ?
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-गौतम परमार "सर्जक"
-(मोरबी जिल्ला साहित्य वर्तुळ)-
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