नादाँ दिल तड़पता है बेवजह !
तमन्ना वो समजता है बेवजह !!
जुल्म करता है वो बेरहम होके !
जान लेता नहीं,छोड़ देता है बेवजह !!
दिल की आरज़ू है रूबरू होने की!
और वो समजे इश्क मेरा है बेवजह !!
जमाने भर से रखे वास्ता,मुझसे दूर !
मान बात मेरी ज़माना है बेवजह !!
तू गर पूछें कभी मेरा अहले-गम !
और फिर मेरा मुश्कुराना है बेवजह !!
तू है तो है गुलशन,न हो तो विराना !
तेरे होने से चार-सु सबा है बेवजह !!
..हेमशिला माहेश्वरी..."शील"......
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