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Saturday, March 18, 2017

हाथों मे हाथ देके  छुड़ाने  लगे हैं वोह - मासूम मोडासवी

हाथों मे हाथ देके  छुड़ाने  लगे हैं वोह
नजरें बचाके आंखे चुराने लगे हैं वोह

छायेथेख्वाब बनके निगाहोंमेंजो कभी
सारे हसीन सपने मीटाने लगे हैं वोह।

आमद से म्हेका जीनकी गुल्शने हयात
चाहतकोअपनेदिलसे भुलानेलगेहै वोह

ख्वाहीशे विसालका अरमां बिखर गया
गमको गलेसे अपने लगाने लगे हैं वोह

मासूम दोघडी काभीमिलना न होसका
दुरी बढाके खुदको बचाने लगे हैं वोह।

- मासूम मोडासवी

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