हमने मिल के बांटे सारे गम अभी भी याद है,
हाथ में था जाम वो आलम अभी भी याद है।
सर्द रातें,उनकी बातें,और वो मीठी कसक,
साँस बोझल और आँखें नम अभी भी याद है।
किस कदर बहला रहे थे दिल हमारा उन दिनों,
कांधे पे सर, वो मेरा हमदम अभी भी याद है।
कुछ इस तरह तन्हाई से लिपटे रहे थे रातभर,
और बरसी यादों की शबनम अभी भी याद है।
बस गये हो बन के मेरे साझ भी आवाज भी,
"रूह"से बजती रही सरगम अभी भी याद है।
- नीता "रूह"
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