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Monday, January 9, 2017

ठेस वागी याद ज्यारे छोकरी आवी - भरत भट्ट

ठेस  वागी  याद  ज्यारे  छोकरी  आवी
शूष्क आंखोमां नदी पण आछरी आवी

याद वृद्धाने य पेली झांझरी आवी
आपना कंठे  मधुरी  ठूमरी  आवी

हुं हजी बचपणने संभारी ने बेठो छुं
सांज बांधीने गला पर टोकरी आवी

आखरे थाक्या तो वणझाराऐ पूछ्यु के,
पोठ सपनाओनी क्यां क्यां संचरी आवी

कांठे आवी बहार नीकलीने मरी डूबी
माछली  साते य दरियाने  तरी  आवी

- भरत भट्ट

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