तुम्हारा हुवा कम करम क्या कहुं
रहे हमभी तनहा सनम क्या कहुं
जमाने का तुमको बड़ाखोफआया
रहा हमपे कैसा भरम क्या कहुं
इनायत की तेरी कुछ बढी थी उमीदें
कीया तुमने मिलना भी कम क्या कहुं
हमें जिंदगी की तलब थी बढी
बढ़ाया है तुमने सीतम क्या कहुं
जताते तुम्ह्रारा इरादा जो मासूम
बढ़ाते नहम अपना कदम क्या कहुं ।
- मासूम मोडासवी
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