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Wednesday, February 8, 2017

रंगत  बदलती रोनके शजर बोल रही है -

रंगत  बदलती रोनके शजर बोल रही है
कुपल के फलते  राज सभी खोल  रही है

कोयल की सदा देखलो गुल्शन मे है गुंजी
रंगत  भरी  वसंती  फजा  डोल  रही  है।

हर सीम्त नइ निकहत आइ है  हवा लेकर
माहोल  में  शादाब  सबा  तोल  रही  है।

पतझड से जडे पत्तों की नग्मा सरी  सी
कानों  मे  खुशीयों से भरे रस घोल रही है

फुलों पे चढ़ा रंगी असर आज तो मासूम
जीने की उमंगो  से भरे  पर खोल रही है।
- मासूम मोडासवी

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