गझल
अय ,सुनो! ये झांझरी परथी
सांज उतरी छे टेकरी परथी
ऐनी भीतर समुद्र घूघवे छे
ऐम लागे छे छोकरी परथी
पुष्प-रागी सुगंध फेलाशे
वेल झूकी छे बंसरी परथी
ऐक पर्वत छे साव पाणीनो
नाम छे कोई जलपरी परथी
अहीं ज मारां स्वप्न डूब्यां छे
याद आव्युं छे घूमरी परथी
भरत भट्ट
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