अबके बरसभी कम मजा ईद का रहा,
युं इन्तजार हमें तुम्हारी दीद का रहा
पलकें बीछाये तरसे आमद को तेरीहम
दर पेश मसअला तुम्हारी जीदका रहा
छोडी नही तुमने जमाने की रस्मो राह
अपनी नजर में रंगतो तजदीद का रहा
जी भरकेतुमको देखना चाहा निगाहने
तेरी नजर का हाल तो तरदीद का रहा
लंबे सफरमे वोकहीं मिलजायेगे मासूम
दिलको यकीन अब इसी उमीद का रहा
- मासूम मोडासवी
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